भोपाल का 90 Degree Bridge बना चर्चा का केंद्र, सोशल मीडिया पर मीम्स की बहार, सरकार को करना पड़ा रीडिज़ाइन का ऐलान

90 Degree Bridge: भोपाल के ऐशबाग इलाके में बना रेलवे ओवरब्रिज इन दिनों सोशल मीडिया से लेकर गूगल मैप तक हर जगह छाया हुआ है – लेकिन वजह हैरान करने वाली है। 18 करोड़ रुपये की लागत से बना यह 648 मीटर लंबा और 8.5 मीटर चौड़ा ब्रिज अपने 90 डिग्री के बेहद तीखे मोड़ की वजह से मजाक और चिंता दोनों का विषय बन गया है। लोग इसे गूगल पर ’90 डिग्री ब्रिज’ के नाम से सर्च कर रहे हैं, और यह सीधे आपको ऐशबाग ब्रिज की लोकेशन तक ले जाता है।
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मीम्स का महासागर, सोशल मीडिया पर हंसी के ठहाके
इस ब्रिज को देखकर लोगों की कल्पनाएं उड़ान भरने लगी हैं। किसी ने इसे ‘टेंपल रन गेम’ जैसा बताया, तो किसी ने इसे ‘दुनिया का आठवां अजूबा’ घोषित कर दिया। एक यूजर ने मजाक में लिखा, अब 360 डिग्री वाला ब्रिज भी बना दो, स्पीड लिमिट 100km/h रखो! वहीं एक और ने तंज कसा – “जनसंख्या कम करने का यह सबसे यूनिक तरीका है!”
कुछ ने तो इसे MP का बेस्ट ड्रिफ्टिंग स्पॉट कह डाला, तो किसी ने इस ब्रिज को इंजीनियरिंग का चमत्कार बताते हुए अपनी वाहवाही के साथ चिंता भी जताई। हालांकि कुछ यूजर्स ने रचनात्मक सुझाव भी दिए – जैसे इसे एकतरफा करने या मोड़ की दिशा बदलने की बातें सामने आईं।
सेफ्टी का सवाल, सरकार को लेना पड़ा एक्शन
मजाक तब गंभीर हो गया जब सड़क सुरक्षा पर सवाल उठने लगे। स्थानीय लोग और एक्सपर्ट्स दोनों मानते हैं कि रात में इस मोड़ पर हादसों का खतरा काफी बढ़ जाता है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने भी साफ कहा – 35 किमी/घंटा से ऊपर की स्पीड पर यह मोड़ सुरक्षित नहीं है।
अब रेलवे ने इस ब्रिज को थोड़ा गोल बनाने के लिए 3 फीट अतिरिक्त ज़मीन देने की मंजूरी दे दी है। स्पीड ब्रेकर, संकेत बोर्ड और लाइटिंग के साथ इसे सुरक्षित करने की योजना बन चुकी है। अभी के लिए इस पर केवल टू-व्हीलर और छोटे वाहन ही चल सकेंगे। ब्रिज की रीडिजाइनिंग का खर्च निर्माण एजेंसी को ही उठाना होगा।
निर्माण में कहां हुई गड़बड़ी?
इस ब्रिज को साल 2018 में मंजूरी मिली थी, लेकिन जमीन की कमी और रेलवे-पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) के बीच तालमेल की कमी के चलते 2022 में जाकर काम शुरू हो पाया। अधिकारी कहते हैं कि पास में रेलवे ट्रैक और मेट्रो लाइन की वजह से डिजाइन बदलना संभव नहीं था। अब जब सोशल मीडिया पर तस्वीरें वायरल हुईं और जनता ने आवाज उठाई, तो सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा।
PWD मंत्री राकेश सिंह ने मामले की जांच का भरोसा देते हुए इसे “राजनीतिक बवाल” कहा, लेकिन सच्चाई यही है कि यह ब्रिज आज भोपाल का ‘वायरल लैंडमार्क’ बन चुका है।