MP News: एक क्लिक पर मिलेगा Land Records, अब माफिया नहीं कर सकेंगे हेराफेरी

MP News: मध्य प्रदेश सरकार ने अब ज़मीन के रिकॉर्ड को ऑनलाइन करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। आने वाले महीनों में लोग सिर्फ एक क्लिक पर अपनी ज़मीन की पूरी जानकारी देख पाएंगे। इससे नकल लेने के लिए चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे और लोकसेवा केंद्र से तत्काल नकल भी मिल सकेगी। सरकार का दावा है कि रिकॉर्ड ऑनलाइन होने से माफिया सरकारी ज़मीनों की हेराफेरी नहीं कर पाएंगे और पुराने रिकॉर्ड का भी आसानी से अवलोकन हो सकेगा।
ग्वालियर समेत प्रदेश में होंगे 63 लाख दस्तावेज़ स्कैन
प्रदेशभर में अगले छह महीने के भीतर करीब 63 लाख दस्तावेज़ स्कैन किए जाएंगे, जिनमें 29 लाख खसरे और 11 लाख 70 हजार नामांतरण पंजी शामिल हैं। ग्वालियर जिले का फिलहाल 1940 से 1953 तक का रिकॉर्ड ही ऑनलाइन है। इसके बाद का रिकॉर्ड अभी भी तहसील व भू अभिलेख कार्यालय में बंद है, जिसे देखने के लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। अब 1953 के बाद का पूरा रिकॉर्ड भी ऑनलाइन होगा। पहले डिजिटलाइजेशन का काम बीच में ही रुक गया था, जिसे अब सरकार ने दोबारा शुरू किया है।
ग्वालियर जिले में रिकॉर्ड की स्कैनिंग के लिए चार चरणों में काम होगा। पहला फेस ढाई महीने का रहेगा और करीब छह महीने बाद ग्वालियर का नंबर आएगा। चतुर्थ फेस में ग्वालियर का पूरा रिकॉर्ड डिजिटल होगा। स्कैनिंग के बाद खसरा, जमाबंदी बी-1, नामांतरण पंजी, अधिकार अभिलेख, री नंबरिंग सूची, निस्तारक पत्रक, वाजिब जल अर्ज और सी-2 रजिस्टर जैसे दस्तावेज़ भी ऑनलाइन उपलब्ध होंगे। इनका स्कैन कोड रहेगा, जिससे जानकारी तुरंत हासिल की जा सकेगी।
नामांतरण पंजी से तुरंत मिलेगी मालिकाना हक की जानकारी
नामांतरण पंजी से ज़मीन के मालिक में हुए बदलाव की पूरी जानकारी मिलती है। नए मालिक को इसका कानूनी अधिकार भी इसी से मिलता है। पुराना रिकॉर्ड ऑनलाइन होने के बाद रिकॉर्ड में गड़बड़ी कर ज़मीन हड़पने के मामलों पर रोक लगेगी। खतौनी की स्कैन कॉपी सर्वर में रहेगी और जनता के लिए भी उपलब्ध रहेगी। ग्वालियर में बड़ी संख्या में जमीन के रिकॉर्ड में हाथ से एंट्री कर हेराफेरी की गई थी, लेकिन अब डिजिटल रिकॉर्डिंग के बाद ऐसा संभव नहीं होगा।
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सबसे ज्यादा लोगों को खसरा की ज़रूरत रहती है, जिसमें ज़मीन का मूल विवरण होता है। जमाबंदी बी-1 को भी ऑनलाइन किया जाएगा, जो किसी ज़मीन के मालिक, उसके आकार और उससे जुड़े दायित्वों का विवरण देती है। डिजिटल रिकॉर्ड से न्यायालय में दावों और ज़मीन संबंधी विवादों में भी पारदर्शिता आएगी। सरकारी रिकॉर्ड डिजिटल होने से सरकारी ज़मीनों की सुरक्षा भी मजबूत होगी और लोग अपने ज़मीन के असली दस्तावेज़ कभी भी देख सकेंगे।