उच्च न्यायालय के निष्कर्ष बिल्कुल भी गलत नहीं: NEET UG परीक्षा पर MP हाई कोर्ट के निर्णय को SC ने माना सही

MP News: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्यप्रदेश में NEET UG परीक्षा से जुड़े मामले की सुनवाई की, जहां इंदौर में परीक्षा के दौरान बिजली गुल होने की वजह से कई छात्रों ने री-एग्जाम की मांग की थी। हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज की थी और इस फैसले को चुनौती देते हुए करीब 50 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया।
न्यायालय ने कहा – उच्च न्यायालय की गहन जाँच पर संदेह नहीं
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और एएस चंदुरकर की पीठ ने कहा कि मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता से जाँच की थी और विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर निष्कर्ष पर पहुँचा। अदालत ने कहा कि परीक्षा के दौरान बिजली जाने की समस्या का सामना कुछ और छात्रों ने भी किया होगा, इसलिए सिर्फ कुछ छात्रों के लिए अलग से आदेश पारित नहीं किया जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि उच्च न्यायालय के निष्कर्ष पूरी तरह सही थे और बिना ठोस आधार के दोबारा परीक्षा का आदेश नहीं दिया जा सकता।
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छात्रों की दलील और अदालत का जवाब
छात्रों की ओर से पेश वकील ने कहा कि बिजली एक घंटे से अधिक समय तक गई थी जिससे परीक्षा प्रभावित हुई, जबकि एनटीए की रिपोर्ट में बिजली जाने का सही समय नहीं बताया गया है। छात्रों ने मांग की कि परिणाम घोषित होने से पहले उन्हें दोबारा परीक्षा का अवसर दिया जाए। इस पर अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट ने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट देखने के बाद ही निर्णय लिया, इसे ऐसे ही खारिज नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छात्रों को अनावश्यक उम्मीदें नहीं देनी चाहिए और यदि कोई पात्र है तो काउंसलिंग में हिस्सा लेने दिया जाएगा।
विशेष अनुमति याचिका का निपटारा
सुनवाई के दौरान वकील ने तर्क दिया कि एकल पीठ ने दोबारा परीक्षा कराने का निर्देश दिया था, लेकिन एसजी तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा संभव नहीं क्योंकि हर प्रश्नपत्र का कठिनाई स्तर अलग-अलग होता है। वकील ने कहा कि छात्रों को कम से कम पंजीकरण प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पात्र छात्र काउंसलिंग में हिस्सा ले सकते हैं और इसके साथ ही विशेष अनुमति याचिका का निपटारा कर दिया गया। अदालत ने साफ कर दिया कि समानता के संतुलन को देखते हुए ही यह निर्णय लिया गया।