किसानो की जेब गरम कर देगी कद्दू की खेती, कम समय में होंगा रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन
किसानो की जेब गरम कर देगी कद्दू की खेती, कम समय में होंगा रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन भारत में कद्दू की खेती एक आम बात है, और यह किसानों के लिए आय का एक अच्छा स्रोत हो सकती है। कद्दू एक कम खर्चीली फसल है, जिसे कम देखभाल की आवश्यकता होती है और यह विभिन्न प्रकार की जलवायु और मिट्टी में उगाई जा सकती है।
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कद्दू की खेती के लिए आवश्यक जलवायु और मिट्टी
कद्दू को गर्म और आर्द्र जलवायु बेहतर होती है.कद्दू की खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है।कद्दू दोमट और बलुई दोमट मिट्टी में अच्छी तरह से उगता है। मिट्टी का pH 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए।
कद्दू की बुआई
भारत में कद्दू की बुवाई आमतौर पर मार्च से जून और सितंबर से अक्टूबर के बीच की जाती है। कद्दू की बुवाई का समय क्षेत्र और जलवायु पर निर्भर करता है। कद्दू की कई किस्में उपलब्ध हैं, जिनमें से कुछ लोकप्रिय किस्में हैं कद्दू के बीजों को सीधे खेत में बोया जा सकता है।बीजों को 2-3 सेंटीमीटर गहरे और 40-50 सेंटीमीटर की दूरी पर बोया जाना चाहिए।
कद्दू की उन्नत किस्मे
पीला कद्दू: यह सबसे आम किस्म है, जिसे सब्जी और मिठाई बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
सफेद कद्दू: इसका उपयोग सब्जी और पशु चारा बनाने के लिए किया जाता है।
लाल कद्दू: इसका उपयोग सब्जी और सजावट के लिए किया जाता है।
कद्दू की सिंचाई और उत्पादन
कद्दू को नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है, मिट्टी को नम रखना चाहिए, लेकिन गीली नहीं, खासकर शुरुआती चरणों में जलभराव बचना चाहिए, क्योंकि इससे पौधे सड़ सकते हैं।
कद्दू को अच्छी वृद्धि के लिए खाद की आवश्यकता होती है।खाद या वर्मीकम्पोस्ट डालना एक अच्छा विकल्प है।खाद को बुवाई से पहले मिट्टी में मिलाना चाहिए। कद्दू की 45-70 दिनों में फल पकने लग जाते है. इन तरीको को ध्यान में रखते हुए कद्दू की खेती में दुगुना मुनाफा कमाया जा सकते है.