नर्सिंग घोटाले के बाद अब पैरामेडिकल में फर्जीवाड़ा, हाईकोर्ट में सुनवाई 16 जुलाई को

MP News: मध्यप्रदेश में नर्सिंग घोटाले के बाद अब पैरामेडिकल कॉलेजों की मान्यता में भी बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है। जबलपुर हाईकोर्ट में लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने जनहित याचिका दायर कर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। कोर्ट के पुराने आदेशों को ताक पर रखकर सत्र खत्म होने के बाद मान्यता दी गई, जिससे सैकड़ों छात्रों का भविष्य दांव पर लग गया है।
एक ही पते से दो संस्थान और सीबीआई की जांच रिपोर्ट
जनहित याचिका में ग्वालियर के रतन ज्योति नर्सिंग कॉलेज और रतन ज्योति पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट का मामला प्रमुखता से उठाया गया है। दोनों संस्थान एक ही भवन और पते पर संचालित हो रहे हैं, इसके बावजूद इन्हें मान्यता दे दी गई। 2022 में एमपी नर्सिंग काउंसिल ने इन्हें पूरी तरह उपयुक्त घोषित किया था, लेकिन 2024 में हाईकोर्ट के निर्देश पर हुई सीबीआई जांच में इन संस्थानों में भारी कमियां पाई गईं और इन्हें “अनसूटेबल” करार दिया गया।
इसके बावजूद हर साल 50 से 125 छात्रों को प्रवेश की अनुमति दे दी गई। याचिका में कहा गया है कि एमपी पैरामेडिकल काउंसिल ने सत्र 2023-24 के लिए पूर्वव्यापी मान्यता जनवरी-फरवरी 2025 में दी, जबकि तब तक सत्र समाप्त हो चुका था। यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के खिलाफ है, जिससे छात्रों के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है।
सरकारी कॉलेज भी फर्जीवाड़े में शामिल, कोर्ट में उठी सख्त कार्रवाई की मांग
याचिकाकर्ता ने बताया कि सिर्फ निजी संस्थान ही नहीं, सरकारी कॉलेजों ने भी बिना यूनिवर्सिटी से संबद्धता लिए छात्रों को दाखिला दिया। एमपी मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी एक्ट के अनुसार संबद्धता अनिवार्य है, लेकिन इसके बावजूद रतन ज्योति पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट ग्वालियर, तिरुपति बालाजी पैरामेडिकल कॉलेज उमरिया, साईंनाथ पैरामेडिकल कॉलेज उमरिया, गुरु गोविंद सिंह कॉलेज बुरहानपुर, मीरा देवी पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट और भाग्योदय तीर्थ इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज सागर को मान्यता दे दी गई।
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हाईकोर्ट में दायर याचिका में कोर्ट से मांग की गई कि 2023-24 और 2024-25 की मान्यता से जुड़ी अवैध गतिविधियों को रिकॉर्ड में लिया जाए, सरकार सभी रिपोर्ट पेश करे और बिना पूर्व संबद्धता के प्रवेश पर तत्काल रोक लगे। कोर्ट की सख्ती का असर दिखना तय है, क्योंकि यह मामला सिर्फ कॉलेज या काउंसिल की गलती नहीं बल्कि हजारों छात्रों के भविष्य से सीधा जुड़ा हुआ है। इस मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को होनी है और सभी की निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं।