अब नहीं लगाने पड़ेंगे दफ्तरों के चक्कर, 8.5 लाख केसों का हुआ समाधान

भोपाल: मध्यप्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे राजस्व महाअभियान 2.0 का असर अब दिखने लगा है। बीते छह महीनों में प्रदेश के राजस्व न्यायालयों ने नामांतरण, सीमांकन और बंटवारे से जुड़े 8.49 लाख पुराने केसों का समाधान कर लिया है। इस अभियान से न सिर्फ आम लोगों को राहत मिली है, बल्कि दफ्तरों में वर्षों से दबे दस्तावेजों का बोझ भी हल्का हुआ है।
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भोपाल जिला सबसे आगे
राजस्व प्रकरणों के निराकरण में भोपाल जिला सबसे आगे रहा। यहां 31,996 मामलों का निपटारा किया गया है, जो कई सालों से अटके हुए थे। रीवा और इंदौर जैसे बड़े जिलों ने भी 31 हजार से ज्यादा केस सुलझाकर प्रक्रिया में तेजी दिखाई है। वहीं दूसरी ओर, अलीराजपुर जैसे छोटे जिले में मात्र 2,500 मामलों का समाधान हो सका है।
नए जिलों में भी दिखा असर
नवगठित जिलों ने भी उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन किया है। पांढुर्णा जिले में 5,016, निवाड़ी में 4,491, मऊगंज में 6,788 और मैहर में 8,612 प्रकरणों का निराकरण किया गया। ये जिले हाल ही में अस्तित्व में आए हैं, फिर भी राजस्व प्रकरणों की गंभीरता को समझते हुए अधिकारियों ने सक्रिय भूमिका निभाई है।
पुराने मामलों का बोझ कम
प्रदेश के राजस्व कार्यालयों में दशकों से फंसे जमीन विवाद अब धीरे-धीरे सुलझ रहे हैं। पहले इन केसों के चलते रिकॉर्ड रूम दस्तावेजों से भरे रहते थे और अफसर भी परेशान रहते थे। अब इन मामलों का निपटारा होने से दस्तावेजों का बोझ घटा है। साथ ही, लोगों को तहसील और ब्लॉक ऑफिस के चक्कर लगाने से भी राहत मिली है।
चरणबद्ध अभियान का परिणाम
राजस्व विभाग ने पहले चरण में सकारात्मक नतीजे मिलने के बाद फरवरी 2025 से जून 2025 तक दूसरे चरण को तेज़ी से लागू किया। इससे पहले जहां कानूनी दांवपेंचों में फंसे मामलों का निपटारा सालों से नहीं हो पा रहा था, अब वही केस छह महीने में हल हो रहे हैं। अधिकारियों की सतर्कता और सरकार की प्राथमिकता से अभियान को गति मिली है।