MP News: EOW ने नगर निगम दरोगा मुकेश पांडे पर छापा मारकर करोड़ों की संपत्ति बताई, अब बताया मासूम

EOW इंदौर ने जून 2022 में नगर निगम के दरोगा मुकेश पांडे पर छापा मारा था, जिसमें करोड़ों की संपत्ति उजागर होने का दावा किया गया था। पांडे पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस भी दर्ज हुआ। लेकिन तीन साल की जांच के बाद अब EOW ने कोर्ट में खात्मा रिपोर्ट पेश कर पांडे को मासूम बताया और कहा कि उनकी सारी संपत्ति वैध स्रोतों से अर्जित है।
छापे में कितनी संपत्ति और कितनी आय पाई गई
EOW की रिपोर्ट के अनुसार, पांडे को 26 साल की सेवा में वेतन से कुल 60.32 लाख रुपए की आय हुई। वहीं चल-अचल संपत्तियां करीब 1.14 करोड़ की पाई गईं। कुल मिलाकर संपत्ति की कीमत 2.61 करोड़ बताई गई। छापे के दौरान पांडे के पास नकदी, गहने, वाहन और अन्य निवेश भी बरामद हुए, जिनकी कुल कीमत 29.35 लाख रुपए रही।
संपत्ति का पूरा ब्यौरा और जांच की गई वैधता
पांडे के नाम पर अवंतिका नगर का प्लॉट, पत्नी प्रीति के नाम पर योजना 51 और छोटा बांगड़दा में प्लॉट और उज्जैन में जमीन मिली। इनमें से कुछ संपत्तियां ससुर स्वर्गीय शिवनारायण तिवारी की वसीयत से आईं, जिन्हें संपत्ति में नहीं जोड़ा गया। वहीं योजना 51 और छोटा बांगड़दा की संपत्तियों की कीमत को संपत्ति में जोड़ा गया, जिससे कुल चल-अचल संपत्ति 1.14 करोड़ मानी गई। बाकी संपत्ति वैध बताई गई।
EOW ने कैसे बताया मासूम
जांच में पत्नी प्रीति की शिक्षिका की आय, किराए की आय और ट्यूशन फीस, सास की पेंशन, मां की पेंशन, भूखंड बेचने से आय, किराए और कर्ज की रकम को मिलाकर कुल आय 2.61 करोड़ बताई गई। पत्नी और सास की आय को अलग कर भी पांडे की आय 2.10 करोड़ निकली। ईओडब्ल्यू ने कहा कि पांडे के पास तो आय से भी 24.22 लाख कम संपत्ति है, इसलिए आय से अधिक संपत्ति का मामला नहीं बनता।
अदालत ने स्वीकार की खात्मा रिपोर्ट
विशेष न्यायाधीश पीसी एक्ट धर्मेंद्र सोनी ने ईओडब्ल्यू की खात्मा रिपोर्ट को मंजूर करते हुए कहा कि पांडे के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला नहीं बनता। इस फैसले के बाद पांडे को ईमानदार बताते हुए केस को समाप्त कर दिया गया है।
चर्चित नाम भी आए जांच के दायरे में
इस पूरे प्रकरण में पांडे के अलावा नगर निगम के बेलदार असलम और इंजीनियर अभय राठौर जैसे चर्चित नाम भी जांच के घेरे में रहे। अभय राठौर हाल ही में 150 करोड़ के बिल घोटाले में चर्चा में आए थे। ये सभी मामले ईओडब्ल्यू और ईडी की नजर में हैं।
संपत्तियों की गहराई से जांच
छापे के दौरान पांडे की नौ संपत्तियों की जांच की गई थी। इनमें पत्नी, पुत्र और पुत्री के नाम पर भी संपत्तियां थीं। जांच में ससुर की आर्थिक स्थिति की भी पड़ताल की गई, जिसमें पाया गया कि संपत्तियां वसीयत में वैध रूप से मिली थीं।
ईओडब्ल्यू का निष्कर्ष
तीन साल की जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने पाया कि पांडे के पास जितनी संपत्ति है, वह आय के अनुरूप ही है या उससे कम है। इसलिए उन पर लगे आरोप साबित नहीं हो पाए और कोर्ट ने खात्मा रिपोर्ट मंजूर कर ली। इससे पांडे को भ्रष्टाचार के आरोप से राहत मिली।