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MP के स्कूलों में शिक्षा की जंग: बिना बिजली और शिक्षकों के कैसे बनेगा भविष्य

MP News: मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत पर हाल ही में आई UDISE Report ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। प्रदेश के हज़ारों स्कूलों में न बिजली है, न पर्याप्त शिक्षक। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की इस रिपोर्ट के मुताबिक स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ रहा है।

बिजली और शिक्षक दोनों की भारी कमी से जूझ रहे सरकारी स्कूल

मध्यप्रदेश के करीब 9,500 सरकारी स्कूल ऐसे हैं जहां आज भी बिजली नहीं पहुंची है। वहीं 12,000 से ज्यादा स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे ही पूरी पढ़ाई हो रही है। यह हाल तब है जब शिक्षा को हर बच्चे का मूल अधिकार माना गया है। स्कूलों में फर्नीचर, शौचालय और पीने के पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की भी गंभीर कमी है। इससे पढ़ाई की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हो रही है और बच्चों के भविष्य पर संकट गहराता जा रहा है।

नामांकन दर से खुली पोल, सुधार की दरकार

UDISE Report के मुताबिक प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा में सकल नामांकन दर (GER) 78.9% और नेट नामांकन दर (NER) 64.3% तक सिमट गई है। वहीं उच्च माध्यमिक शिक्षा में GER 62% और NER केवल 25.7% रह गई है। ये आंकड़े दिखाते हैं कि बड़ी संख्या में बच्चे या तो स्कूल तक पहुंच ही नहीं पाते या फिर पढ़ाई अधूरी छोड़ देते हैं। शिक्षा व्यवस्था की इस कमजोरी को दूर करना प्रदेश सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।

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शिक्षा सुधार की कोशिशें, मगर रास्ता लंबा

सरकार ने सरकारी स्कूलों में शौचालय, पेयजल और मरम्मत कार्य के लिए हर जिले में 50-50 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की है। लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक डीएस कुशवाह का कहना है कि प्रदेश के सभी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में लगातार काम हो रहा है। हालांकि ये कोशिशें ज़रूरी हैं, मगर जब तक स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं होंगे और हर स्कूल में बिजली जैसी मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं होगी, तब तक शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाना मुश्किल होगा।

Ankush Baraskar

मेरा नाम Ankush है मैं एक अनुभवी कंटेंट राइटर हूँ। मुझे कंटेंट राइटिंग में लगभग 3 साल का अनुभव है। मैं अपने अनुभव के आधार पर रिसर्च करके ऑटोमोबाइल, टेक्नोलॉजी, और ट्रेंडिंग से जुड़े आर्टिकल लिखता हूँ।

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