Gilki ki kheti: कामना है पैसा तो कर लो गिलकी की खेती होगी मुनाफे का सौदा
Gilki ki kheti: यह किसानों के लिए बेहद मुनाफे वाली फसल साबित हो सकती है। इसलिए आइए इस लेख में जानते हैं कि गिलकी की खेती कैसे करें, सही समय क्या है, और उन्नत किस्म क्या है-
गिलकी की खेती करके किसान 2 से 3 लाख रुपये तक कमा सकते हैं। गिलकी की खेती से अच्छी उपज पाने के लिए अच्छी किस्म का चयन करना होगा, जो अधिक उपज दे, उर्वरकों का समय पर प्रयोग करना होगा, कीटों से फसल की रक्षा के लिए समय पर कीटनाशक देना होगा, खेत की अच्छी तरह से तैयारी करनी होगी, खेती का तरीका भी उचित रूप से अपनाना होगा। गिलकी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है, जिसके कारण किसानों को इसका अच्छा दाम मिलता है। इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं, तो आइए सबसे पहले गिलकी की खेती का समय जानते हैं।
Gilki ki kheti का समय
गिलकी की खेती के समय की बात करें तो किसान खरीफ और रबी दोनों मौसम में गिलकी की खेती कर सकते हैं। जिसमें यदि आप खरीफ सीजन में गिलकी की खेती कर रहे हैं तो मानसून की शुरुआत यानी जून-जुलाई में गिलकी की बुवाई करें। यदि किसान रबी सीजन में गिलकी की खेती कर रहे हैं तो वे अक्टूबर से नवंबर के बीच गिलकी की बुवाई कर सकते हैं। कुछ विशेषज्ञ गिलकी की खेती के लिए उपयुक्त समय जनवरी से मार्च और मई से जुलाई के बीच मानते हैं।
Gilki ki kheti की जानकारी
सबसे पहले हम गिलकी की खेती के लिए खेत की तैयारी करेंगे। जिसमें तीन से चार बार जुताई करें। मिट्टी को भुरभुरा बनाएं और भुरभुरी मिट्टी में किसानों को अच्छी उपज मिलेगी।
इसके बाद खेत में गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट खाद मिला दें। जिससे मिट्टी उपजाऊ होगी।
पट्टा चलाकर खेत को समतल करें।
बुवाई लाइन में करनी चाहिए। दो लाइनों के बीच की दूरी 4 से 5 फीट और दो पौधों के बीच की दूरी एक या डेढ़ फीट रखना बेहतर होगा।
गहराई की बात करें तो बीजों को डेढ़ या 2 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं। जिससे अच्छा अंकुरण प्राप्त होगा।
गिलकी की खेती में आपको पौधों को सहारा देना होगा। अच्छी उपज देखने के लिए 15 दिन के अंदर गोबर की खाद डालें।
यहां पुराने गोबर का इस्तेमाल करें। आप गिलकी को गमले में भी लगा सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि आपको गिलकी को ऐसी जगह पर लगाना चाहिए जहां अच्छी धूप आती हो।
गिलकी की फसल 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है।
समय-समय पर फसल का निरीक्षण करते रहें ताकि फसल में कोई समस्या न आए। यदि कीट या रोग दिखाई दें तो उनका निदान करें।
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Gilki ki kheti की उन्नत किस्में
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार गिलकी की कुछ उन्नत किस्मों के बारे में जानें-
- एफ1 हरिता हाइब्रिड- आप गिलकी की खेती के लिए इस बीज का चयन कर सकते हैं। इसका रंग काला होता है। यह एक हाइब्रिड गिलकी किस्म है। इस किस्म के फल का रंग गहरा और आकार बेलनाकार होता है।
- किसान सागर गिलकी के बीजों का भी चयन कर सकते हैं। इसे हाई रिच सीड्स द्वारा विकसित किया गया है। जिससे किसानों को अच्छी उपज मिलती है।
- हाईवेज एसेन हाईवेज वाणी- यह भी एक हाइब्रिड गिलकी किस्म है। जो अधिक उपज देगा।
- काजल (7001), कोमल का भी चयन कर सकते हैं। यह नाथ बायोजेन कंपनी की गिलकी की किस्म है। जो अच्छी उपज देगा।
- निर्मल, तरिका भी अच्छी हैं। यह रासी सीड्स कंपनी की गिलकी की किस्म है। जो अच्छी उपज देती है।
- स्टार 600 जो कि स्टार एग्रोटेक कंपनी की गिलकी की किस्म है। यह भी बेहतर है।
- आलोक, वाणी, यह भी अच्छी किस्म है। ये गिलकी की हाइब्रिड किस्में हैं, जिनसे बंपर उत्पादन लिया जा सकता है।
Gilki ki kheti में रोग
सभी फसलों में कोई न कोई रोग तो देखने को ही मिलता है। गिलकी की फसल की बात करें तो इसमें नेनुआ का पीला मोज़ेक रोग लग जाता है। यह एक वायरल रोग है और गिलकी को नुकसान पहुंचाता है। जिसके कारण कभी-कभी पूरी फसल नष्ट हो जाती है। आइए जानते हैं किसान इसे कैसे पहचान सकते हैं-
- पत्तियों में पीले-पीले धब्बे दिखाई देते हैं। भले ही पत्तियां नई हों।
- जब संक्रमण बढ़ जाता है तो उस समय पत्तियां छोटी, धब्बेदार और विकृत होने लगती हैं।
- पत्तियों के अलावा फल का आकार भी प्रभावित होता है।
- यदि किसान अपनी फसल को पीले मोज़ेक रोग से बचाना चाहते हैं तो इसके रोकथाम के लिए श्वेत मक्खी को नियंत्रित करें। क्योंकि यह रोग श्वेत मक्खी के कारण होता है।
- इसके कारण कीड़े और चींटियां भी गिलकी के पौधे पर हमला करती हैं। जिसके लिए कीटनाशक का प्रयोग करें। ताकि उत्पादन में कमी न आए।
Gilki ki kheti में पाए जाने वाले पोषक तत्व
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार पीली गिलकी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के बारे में जानें-
- गिलकी में प्रोटीन, कैल्शियम, पोटैशियम, सोडियम, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन के, आयरन, विटामिन सी जैसे कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं।
- गिलकी का सेवन करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है।
- आपको बता दें कि गिलकी को ब्लड प्यूरिफायर भी कहा जाता है।
- गिलकी से हड्डियों को ताकत मिलती है।
- गिलकी से दिमाग की शक्ति बढ़ती है।
- गिलकी चेहरे पर निखार लाती है। क्योंकि यह विषाक्त पदार्थों को दूर करती है।
गमले में गिलकी कैसे लगाएं
नीचे दिए गए बिंदुओं के अनुसार गमले में गिलकी लगाने का तरीका जानें-
- गिलकी लगाने के लिए बलुई मिट्टी का चयन करें। इस मिट्टी को बनाने के लिए रेत और गोबर की खाद मिलाएं। पुराने गोबर का इस्तेमाल करें।
- गिलकी को गमले या ग्रोबैग में लगाया जा सकता है। बीजों को 2 से 3 इंच की गहराई पर बोएं। यदि आप एक गमले में कई बीज लगा रहे हैं तो उनके बीच 4 से 6 इंच की दूरी रखें। इसके बाद इनमें पानी डालें।