भोपाल के बड़े तालाब में फिर शुरू होगा Cruise, इस बार चलेगा इलेक्ट्रिक इंजन से

MP News: भोपाल के बड़े तालाब में दो साल बाद क्रूज सेवा फिर शुरू होने जा रही है। इस बार डीजल इंजन की जगह पर्यावरण के अनुकूल इलेक्ट्रिक इंजन लगाया जाएगा, जिससे न केवल तालाब की खूबसूरती और स्वच्छता बनी रहेगी बल्कि सैलानियों को शांत और आरामदायक सफर का अनुभव भी मिलेगा। यह कदम पर्यटन को बढ़ावा देने और प्रदूषण को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
डीजल की जगह इलेक्ट्रिक इंजन से चलेगा क्रूज
मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम ने बड़ा कदम उठाते हुए डीजल इंजन की जगह इलेक्ट्रिक इंजन का उपयोग करने का निर्णय लिया है। इस तकनीकी बदलाव से बड़े तालाब में क्रूज के संचालन से होने वाला प्रदूषण काफी हद तक कम होगा। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना सैलानी अब फिर से तालाब की लहरों पर सुकूनभरी सैर कर सकेंगे। इलेक्ट्रिक इंजन से क्रूज शोर भी कम करेगा, जिससे सफर और भी सुकूनदायक होगा। इस क्रूज को लगभग दो साल पहले राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने पर्यावरणीय कारणों से बंद करवा दिया था, लेकिन अब नई तकनीक के साथ इसकी वापसी हो रही है।
प्रदूषण की वजह से लगी थी रोक, अब फिर मिलेगी इजाजत
2011 में ‘लेक प्रिंसेस’ नाम से बड़े तालाब में क्रूज सेवा शुरू की गई थी। लेकिन प्रदूषण की बढ़ती शिकायतों के बाद NGT ने इस पर रोक लगा दी थी। साथ ही मोटर बोट जलपरी का संचालन भी रोक दिया गया था। अब पर्यटन विभाग की ओर से पर्यावरण की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए इलेक्ट्रिक इंजन से क्रूज और शिकारा संचालन की योजना बनाई जा रही है। एमपी टूरिज्म के प्रबंध निदेशक डॉ. इलैया राजा टी के मुताबिक इसी महीने शिकारा सेवा भी शुरू की जाएगी। अभी तक 10 शिकारे भोपाल पहुंच चुके हैं और जल्द ही 10 और शिकारे आने वाले हैं, ताकि सैलानियों को झील की लहरों पर नई तरह का अनुभव मिले।
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ईको-फ्रेंडली क्रूज से बढ़ेगा भोपाल का आकर्षण
एमपी टूरिज्म के अधिकारियों के अनुसार, इलेक्ट्रिक इंजन से संचालित क्रूज पारंपरिक डीजल इंजन की तुलना में काफी कम प्रदूषण फैलाते हैं और संचालन खर्च भी कम आता है। साथ ही ये लगभग शोररहित होते हैं, जिससे सैलानियों को शांति का अनुभव मिलेगा। भोपाल को झीलों का शहर कहा जाता है और यह नई पहल ईको-टूरिज्म को और मजबूती देगी। तालाब की खूबसूरती बनाए रखने के साथ यह कदम भोपाल को पर्यावरण के प्रति जागरूक पर्यटन स्थल के रूप में पहचान दिलाएगा। अब सैलानी फिर से क्रूज और शिकारे की सैर का आनंद ले सकेंगे, वो भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना।