
यह खेती कर आप एक झटके मे बन जाओगे लाखों के मालिक, देखे कोनसी है ये खेती हमारे घरों में हमेशा पीली हल्दी का इस्तेमाल होता रहा है, लेकिन यही इकलौती हल्दी नहीं है! भारत में अब तेजी से नीली हल्दी की भी खेती हो रही है। यह हल्दी पीली हल्दी से ज्यादा गुणकारी मानी जाती है और बाजार में इसकी कीमत भी ज्यादा मिलती है। नीली हल्दी खाने के काम नहीं आती बल्कि दवाइयों में इस्तेमाल की जाती है। इसके कई फायदों का जिक्र आयुर्वेद में भी मिलता है। आइए अब आपको बताते हैं कि भारतीय किसान नीली हल्दी से कैसे लाभ कमा रहे हैं।
नीली हल्दी की खेती कैसे करें?
पीली हल्दी के मुकाबले नीली हल्दी की खेती थोड़ी जटिल है। इसके लिए जमीन का सही चुनाव करना जरूरी होता है। नीली हल्दी की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी बलुई-दोमट (friable loamy) मिट्टी होती है। इसके अलावा नीली हल्दी को पानी से बचाना भी जरूरी है। खेत में पानी जमा होने से इसकी फसल बहुत जल्दी खराब हो सकती है। इसलिए नीली हल्दी की खेती ज्यादातर ढलान वाली खेतों में की जाती है जहां पानी इकठा होने का खतरा नहीं रहता।
नीली हल्दी की कीमत
नीली हल्दी किसानों को दो तरीकों से मुनाफा दे सकती है। पहला, यह हल्दी बाजार में ज्यादा दाम में बिकती है और दूसरा, कम जगह में इसकी पैदावार पीली हल्दी से ज्यादा हो सकती है। नीली हल्दी की कीमत बाजार की मांग के हिसाब से बदलती रहती है और इसे 500 रुपये से लेकर 3000 रुपये प्रति किलो तक तय किया जा सकता है।
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नीली हल्दी का उत्पादन कितना होता है?
नीली हल्दी की पैदावार पीली हल्दी से काफी ज्यादा होती है। एक एकड़ में इसकी पैदावार 12 से 15 क्विंटल तक हो सकती है। इसलिए हल्दी की खेती करने वाले किसानों को अब पीली हल्दी की बजाय नीली हल्दी की खेती करनी चाहिए। इससे उन्हें ज्यादा मुनाफा हो सकता है।