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पैसो का झोला भर देगी हल्दी की खेती, जानिये हल्दी की खेती का समय और तरीका

हल्दी की खेती: हल्दी की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है। आजकल किसान पारंपरिक फसलों के बजाय आधुनिक खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। हल्दी की डिमांड साल भर बनी रहती है। इसलिए हल्दी खेती करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। हल्दी की खेती अगर सही तरीके से करेंगे तो बढ़िया पैदावार मिलेगी।

जिसमें किसानों का कहना है कि एक हेक्टेयर में 200 क्विंटल तक पैदावार ली जा सकती है। जिससे किसानों को लाखों रुपए की आमदनी हो जाएगी। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं हल्दी की खेती का समय, हल्दी की खेती कैसे करें, हाइब्रिड हल्दी की खेती और काली हल्दी की मंडी के बारे में भी जानेंगे।

हल्दी की खेती का समय

खेती के समय की बात करे तो किसान साल में दो बार इसकी खेती कर सकते हैं। जिसमें मार्च से अप्रैल और जून से जुलाई के बीच हल्दी की रोपाई की जाती है। चलिए नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार हल्दी की खेती के समय के बारे में विस्तार से जानते हैं-

सिंचाई की सुविधा नहीं है तो जुलाई में हल्दी की बुवाई करें। उस समय बरसात से अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
किसान अगर केरल या पश्चिमी तट इलाके के रहने वाले हैं जहां बारिश जल्दी होती है तो वह किसान अप्रैल और मई के बीच हल्दी की बुवाई कर सकते है।

किसानों के खेत में पानी नहीं रुकता है, जल निकासी की व्यवस्था बढ़िया है तो अगस्त मध्य तक हल्दी की बुवाई कर सकते हैं। क्योंकि बरसात से उन्हें फिर असर नहीं होगा।
हल्दी की खेती में लगने वाले समय की बात करें तो हल्दी की फसल लगभग 6 से 8 महीने में तैयार होगी।

हल्दी की खेती कैसे करें

खेती के लिए रेतीली दोमट या मटियार दोमट मिट्टी का चयन करें।
खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 8 से 9 के बीच बेहतर होता है।
मिट्टी को भुरभुरा बनाएं। इसके लिए दो से तीन बार खेत की जुताई करें।
हल्दी की खेती के लिए एक हेक्टेयर में किसानों को 2000-2500 किलोग्राम प्रकंद बीज की जरूरत पड़ती है।
बढ़िया अंकुरण हो इसके लिए 30 से 35 ग्राम के गांठ का चयन करें।
पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेमी और दो कंद के बीच की दूरी 20 सेमी रखें। गहराई की बात करें तो 5 से 6 सेंटीमीटर की गहराई पर बुवाई करें।

जब रोपाई कर लेते हैं उसके बाद हरी शीशम के पत्तियों से ढक सकते हैं।
हल्दी की खेती में किसानों को तीन गुड़ाई करने की आवश्यकता रहती है। जिसमें पहली गुड़ाई 35 से 40 दिन में, दूसरी 60 से 70 और तीसरी 90 से 100 दिन के बीच में करें, खरपतवार निकाल दें।
बढ़िया उत्पादन के लिए उर्वरक आदि का इस्तेमाल करें।

हल्दी की खेती के लिए उर्वरक

हल्दी की खेती के लिए खाद उर्वरक की बात कर तो अगर किसान गोबर की खाद डालते है तो 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर में डालें, अच्छी पैदावार उन्हें मिलती है। इसके अलावा अन्य उर्वरकों की बात करें तो किसान 100 किलो नत्रजन, 60-60 किलो क्रमशः पोटाश और फास्फेट का इस्तेमाल एक हेक्टेयर के अनुसार करें।

हाइब्रिड हल्दी की खेती

आईएसआईआर प्रगति- हाइब्रिड हल्दी से अधिक फ़ायदा लेना चाहते है तो बढ़िया किस्म का चुनाव करें। जिसमें यह आईएसआईआर प्रगति किस्म भी बेहतर विकल्प है। भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान, कोझिकोड ने इसे विकसित किया है। इस किस्म की खेती से किसानों को कम समय में अधिक उत्पादन मिलता है।

सोरमा- यह भी अच्छी किस्म है। इसका रंग हल्का नारंगी होता है। इसे पकने में 210 दिन लगते है। एक एकड़ में इसे लगाते है तो 80 से 90 क्विंटल उत्पादन मिल जायेगा।

लकडोंग- अगर किसान मेघालय के सुदूर क्षेत्रों के है तो वहां इस किस्म को अधिक लगाया जाता है। इस किस्म में कर्क्यूमिन तत्व ज्यादा पाया जाता है।
सीतापुर- इसका भी किसान चयन कर सकते है। यह 200 से 210 दिन में पक जाती है।
इसके आलावा सुगंधम, सुदर्शन, पीतांबर, रोमा, कृष्णा, सोनिया, गौतम, रश्मि, आर एच 5, और सुरोमा आदि भी अच्छी है।

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काली हल्दी की मंडी

काली हल्दी की खेती करके किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। काली हल्दी की कीमत, पीली हल्दी के मुकाबले अधिक होती है। काली हल्दी सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद होती है। इसे कई तरह की औषधि दवाइयां बनाई जाती है। काली हल्दी की खेती करने वाले आकाश चौरसिया जो कि मध्य प्रदेश सागर के रहने वाले हैं वह एक एकड़ में काली हल्दी की खेती करके 10 लाख रुपए तक की कमाई कर लेते हैं।

इसमें लागत वह बताते हैं कि ढाई लाख रुपए की आती है। उन्हें काली हल्दी जो गीली हल्दी होती है उसकी मंडी कीमत 500 से ₹900 किलो मिल जाती है। वहीं अगर वह पाउडर फॉर्म में इस हल्दी को बेंचते हैं तो 2500 से ₹3500 इसकी कीमत मिलती है।

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काली हल्दी की खेती

काली हल्दी के लिए मिट्टी का पीएच मान 5 से 7 के बीच रहे तो बेहतर होता है। एक एकड़ में ढाई किलो बीज की आवश्यकता पड़ती है। 25 से 50 दिन के बीच में तीन बार गुड़ाई करेंगे तो बेहतर उत्पादन मिलेगा। काली हल्दी में किसानों को एक फायदा है कि इसमें को कीट रोग नहीं लगते हैं। 9 महीने में काली हल्दी की फसल तैयार हो जाती है। किसान अगर हल्दी की खेती करना चाहते हैं तो काली हल्दी उनके लिए बेहतर विकल्प होगा। इसकी बिक्री देश, विदेश सभी जगह कर सकते हैं।

umesh kumar

नमस्कार मेरा नाम UKJharbade है और मुझे डिजिटल मीडिया में काम करते हुए लगभग 3 वर्ष से अधिक होते आ रहा है। ट्रेंडिंग ऑटोमोबाइल और टेक्नोलॉजी की खबरो में मेरी विशेष रूचि है।

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