MP के स्कूल में बच्चियों के साथ दुर्व्यवहार, अब PMO ने लिया संज्ञान

MP के एक सरकारी स्कूल में बच्चियों के साथ लगातार शोषण की घटनाएं सामने आई हैं, लेकिन शिकायतों के बावजूद प्रशासन और स्कूल प्रबंधन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। मामला तूल तब पकड़ा जब अभिभावकों ने कई बार स्थानीय अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन न तो शिक्षकों पर कार्रवाई हुई और न ही बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई। अब यह मामला प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक पहुंच गया है, जिसने प्रदेश सरकार से तुरंत रिपोर्ट मांगी है।
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शोषण की घटनाएं सामने आईं
स्कूल में पढ़ने वाली कई छात्राओं ने बताया कि कुछ शिक्षक उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान करते हैं। बच्चियों ने अपने माता-पिता को बताया कि कैसे कुछ टीचर्स आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करते हैं और क्लास के बाहर भी अनावश्यक तरीके से संपर्क करने की कोशिश करते हैं। इन घटनाओं के बाद स्थानीय लोगों में गुस्सा है और वे स्कूल प्रशासन से जवाब मांग रहे हैं।
शिकायतों के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं
हालांकि अभिभावकों ने स्कूल प्राचार्य से लेकर जिला शिक्षा अधिकारी तक को बार-बार शिकायतें दीं, लेकिन सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं हुआ। कुछ मामलों में शिक्षकों का बचाव भी किया गया, जिससे बच्चियों के मन में और डर बैठ गया। कई अभिभावकों ने बच्चियों को स्कूल भेजना तक बंद कर दिया।
PMO ने लिया संज्ञान, मांगी रिपोर्ट
जब स्थानीय स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हुई, तो कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने यह मामला सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचाया। अब PMO ने प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है और कहा है कि बच्चियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। यह संकेत है कि अगर राज्य सरकार ने जल्द कोई एक्शन नहीं लिया तो केंद्र खुद हस्तक्षेप कर सकता है।
स्कूल और शिक्षा विभाग पर उठे सवाल
इस मामले ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बच्चियों की सुरक्षा स्कूल की जिम्मेदारी होती है, लेकिन यहां न तो निगरानी है और न ही कोई ठोस आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र। ऐसे में स्कूलों की सुरक्षा और जवाबदेही को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है।