Shubhanshu Shukla in Space: भारत के बेटे की Axiom-4 मिशन से अंतरिक्ष उड़ान, रचा इतिहास

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने इतिहास रचते हुए Axiom-4 मिशन के तहत 25 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरी। यह मिशन भारतीय समयानुसार दोपहर 12:01 बजे फ्लोरिडा के नासा केनेडी स्पेस सेंटर से SpaceX Falcon 9 रॉकेट और Crew Dragon अंतरिक्ष यान के साथ लॉन्च हुआ। यह भारत के लिए ऐतिहासिक पल है, क्योंकि शुभांशु 1984 में राकेश शर्मा के बाद ISS जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने। कई बार टलने के बाद, यह मिशन 90% अनुकूल मौसम में सफलतापूर्वक रवाना हुआ। मिशन 14 दिन तक ISS पर रहेगा, जहां शुभांशु सात भारतीय प्रयोगों सहित 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे।
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Axiom-4 Launch and Crew
Axiom-4 मिशन 25 जून 2025 को दोपहर 12:01 बजे (IST) लॉन्च हुआ, और इसका टारगेटेड डॉकिंग टाइम 26 जून को शाम 4:30 बजे (IST) है। मिशन की कमान पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन संभाल रही हैं, जबकि शुभांशु शुक्ला पायलट हैं। चालक दल में पोलैंड के स्लावोज उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की (ESA) और हंगरी के टिबोर कपू (HUNOR) मिशन स्पेशलिस्ट के रूप में शामिल हैं। यह मिशन भारत, पोलैंड, और हंगरी के लिए 40 साल बाद पहली सरकारी मानव अंतरिक्ष उड़ान है।
बार-बार क्यों टली लॉन्चिंग ?
Axiom-4 मिशन की लॉन्चिंग को छह बार स्थगित किया गया। शुरुआत में 29 मई 2025 को निर्धारित, यह मिशन 8, 10, 11, 19, और 22 जून को खराब मौसम, Falcon 9 रॉकेट में लिक्विड ऑक्सीजन लीक, और ISS के Zvezda सर्विस मॉड्यूल में लीक के कारण टला। SpaceX और नासा ने सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी तकनीकी खामियों को ठीक किया, और 25 जून को मौसम 90% अनुकूल होने पर लॉन्च हुआ।
शुभांशु शुक्ला का योगदान और प्रयोग
शुभांशु शुक्ला, भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन, इस मिशन के पायलट हैं और सात ISRO-प्रायोजित प्रयोग करेंगे। इनमें माइक्रोएल्गी की वृद्धि, मांसपेशियों की रीजनरेशन, स्प्राउटिंग (मूंग और मेथी), और टार्डिग्रेड्स की माइक्रोग्रैविटी में सहनशक्ति शामिल हैं। ये प्रयोग भारत के गगनयान मिशन की तैयारी में महत्वपूर्ण हैं। शुभांशु 2000+ घंटे की उड़ान अनुभव के साथ Su-30 MKI, MiG-21, और Jaguar जैसे विमानों के टेस्ट पायलट रह चुके हैं।
भारत के लिए ऐतिहासिक मिशन
Axiom-4 मिशन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय है। यह ISRO और नासा की साझेदारी का परिणाम है, जो भारत के गगनयान (2026) और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (2035) जैसे महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को बढ़ावा देगा। शुभांशु का मिशन भारत की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग में बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। लखनऊ में जन्मे शुभांशु ने अपनी शिक्षा सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से और IISc बेंगलुरु से एमटेक (एयरोस्पेस इंजीनियरिंग) पूरी की।