ट्रेंडिंग

Iron Israel War भारत की जेब पर पड़ेगा भारी, जानिए कैसे बढ़ेंगी महंगाई और तेल की कीमतें

पश्चिम एशिया में चल रहा ईरान और इज़राइल के बीच का तनाव अब ऐसे मोड़ पर पहुंच गया है जहां इसके असर भारत तक महसूस किए जा सकते हैं। जानकारों का मानना है कि अगर हालात और बिगड़ते हैं, तो भारत को न सिर्फ अपने व्यापार में भारी नुकसान उठाना पड़ेगा, बल्कि तेल जैसी जरूरी चीजों की सप्लाई भी मुश्किल में पड़ सकती है।

व्यापार पर मंडराया खतरा

मुंबई के नामी निर्यातक शरद कुमार सराफ, जो टेक्नोक्राफ्ट इंडस्ट्रीज इंडिया के संस्थापक हैं, का कहना है कि इस टकराव का असर सिर्फ सीमित नहीं रहेगा बल्कि धीरे-धीरे पूरे व्यापार पर पड़ सकता है। उनकी कंपनी ने फिलहाल ईरान और इज़राइल को भेजे जा रहे माल को रोक दिया है। उनका साफ कहना है, “स्थिति अब सिर्फ तनाव नहीं, एक गहरा संकट बनती जा रही है।”

Read this:168 यात्रियों की जान पर बना खतरा, Guwahati-Chennai Indigo फ्लाइट की Bengaluru में इमरजेंसी लैंडिंग

भारत का इन देशों से व्यापार काफी बड़ा है। साल 2024-25 में भारत ने ईरान को करीब 1.24 अरब डॉलर का सामान भेजा, जिसमें बासमती चावल, केला, चना, सोया मील और चाय जैसी चीजें शामिल रहीं। वहीं, भारत ने ईरान से करीब 441.8 मिलियन डॉलर का आयात किया। इज़राइल के साथ भारत का व्यापार 3.7 अरब डॉलर तक पहुंचा, जिसमें 2.1 अरब का निर्यात और 1.6 अरब का आयात शामिल है।

तेल की सप्लाई पर खतरा

इस पूरे विवाद में सबसे बड़ी चिंता हॉर्मुज जलडमरूमध्य को लेकर है। यह वही समुद्री रास्ता है जहां से भारत को 60-65% कच्चा तेल आता है। ईरान ने इस रूट को बंद करने की चेतावनी दी है। अगर ऐसा हुआ, तो इसका सीधा असर देश की ऊर्जा ज़रूरतों पर पड़ेगा। तेल की कीमतें बढ़ेंगी, महंगाई का झटका लगेगा, रुपये की हालत कमजोर हो सकती है और देश की आर्थिक स्थिति डगमगा सकती है।

यह रास्ता सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए अहम है, क्योंकि यहां से दुनिया के 20% तेल का कारोबार होता है। सऊदी अरब, इराक, कतर और कुवैत जैसे देशों का निर्यात भी इसी रास्ते से होता है।

पहले से ही दिक्कतों में है व्यापार

पश्चिम एशिया में सिर्फ ईरान-इज़राइल विवाद ही नहीं, रेड सी में भी हौथी विद्रोहियों के हमलों की वजह से पहले ही भारत का यूरोप और अमेरिका के साथ समुद्री व्यापार काफी प्रभावित हो चुका है। भारत का लगभग 80% यूरोपीय व्यापार और कुल निर्यात का एक तिहाई हिस्सा इन्हीं रास्तों से होता है।

वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) ने चेताया है कि अगर हालात यूं ही रहे तो 2025 में वैश्विक व्यापार 0.2% तक गिर सकता है, जबकि पहले इसकी ग्रोथ का अनुमान 2.7% लगाया गया था।

Read this: MP Weather Update: अगले 5 दिन भारी बारिश, अलर्ट जारी, घर से निकलने से पहले जान लें सब कुछ

भारत के सामने दोहरी चुनौती

भारत की मुश्किल यह है कि उसके ईरान से ऐतिहासिक और रणनीतिक रिश्ते हैं जैसे चाबहार पोर्ट, जो अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक सीधी पहुंच का रास्ता देता है। दूसरी ओर, भारत अमेरिका, इज़राइल और खाड़ी देशों से भी मजबूत रिश्ते निभा रहा है। ऐसे में जब सभी पक्ष एक दूसरे के खिलाफ खड़े हों, तो भारत की कूटनीतिक स्थिति बेहद पेचीदा और संतुलन साधने वाली हो जाती है।

Related Articles

Back to top button