इंदौर में रिश्वत लेते पकड़ा गया पंचायत सचिव, EOW ने रंगेहाथों दबोचा

इंदौर जिले में EOW ने रिश्वतखोर पंचायत सचिव को रंगेहाथों पकड़ा, जो मकान का नक्शा पास कराने के बदले 20 हजार की मांग कर रहा था। लगातार हो रही कार्रवाइयों के बावजूद प्रदेश में रिश्वतखोरी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं, जिससे साफ जाहिर है कि भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसना अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
मकान का नक्शा पास करने के लिए मांगी रिश्वत
मध्यप्रदेश के इंदौर जिले की सांवेर जनपद पंचायत में मगरखेड़ा गांव के पंचायत सचिव ओम गुप्ता ने गांव के निवासी रोशन वर्मा से उसके मकान का नक्शा पास करने के लिए 20 हजार रुपये रिश्वत की मांग की थी। परेशान होकर फरियादी रोशन वर्मा ने 24 जुलाई 2025 को इंदौर स्थित EOW कार्यालय में इसकी लिखित शिकायत दर्ज कराई।
EOW की टीम ने पकड़ा रंगेहाथों
शिकायत की पुष्टि के बाद इंदौर EOW की टीम ने कार्रवाई करते हुए पंचायत सचिव ओम गुप्ता को 10 हजार रुपये की पहली किस्त लेते ही रंगेहाथों गिरफ्तार कर लिया। टीम ने यह कार्रवाई पूरी सतर्कता और योजना के तहत की, ताकि सबूत पुख्ता रहें और आरोपी को कानून के शिकंजे में कसने में कोई कमी न रहे।
लगातार हो रही ऐसी कार्रवाइयां
प्रदेश में रिश्वतखोर अधिकारियों और कर्मचारियों पर EOW और लोकायुक्त की कार्रवाइयों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। लगभग हर दूसरे दिन किसी न किसी जिले में किसी न किसी सरकारी विभाग के कर्मचारी या अधिकारी को रिश्वत लेते पकड़ा जा रहा है, फिर भी भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हैं कि आरोपी लगातार नए-नए तरीकों से घूस मांगने से बाज नहीं आ रहे।
इंदौर में बड़ी कार्रवाई
इंदौर जिले की यह ताजा कार्रवाई साबित करती है कि प्रशासन भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है। मगरखेड़ा गांव के इस मामले में पंचायत सचिव की गिरफ्तारी ने एक बार फिर ये दिखा दिया कि आम नागरिकों को भी अब आगे आकर शिकायत करनी चाहिए, ताकि ऐसे भ्रष्ट कर्मचारियों पर लगाम लगाई जा सके।
जनता की भूमिका भी अहम
रिश्वतखोरी के खिलाफ लड़ाई में सिर्फ सरकारी एजेंसियों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि आम जनता को भी सतर्क रहकर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठानी होगी। रोशन वर्मा की तरह यदि और लोग भी बिना डरे भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराएं, तो निश्चित तौर पर इस लड़ाई को मजबूती मिलेगी।
भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसना जरूरी
मध्यप्रदेश में लगातार सामने आ रहे घूसखोरी के मामलों से यह साफ होता है कि ईमानदारी और पारदर्शिता की ओर कदम बढ़ाना अब और भी जरूरी हो गया है। पंचायत सचिव जैसे छोटे पदों से लेकर बड़े अधिकारियों तक, हर स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करना ही इसका स्थायी समाधान हो सकता है।
कार्रवाई से मिली चेतावनी
EOW की इस कार्रवाई ने प्रदेश के अन्य रिश्वतखोर कर्मचारियों को भी एक सख्त संदेश दिया है कि भ्रष्टाचार करते पकड़े जाने पर अब बचना मुश्किल है। ऐसे मामलों से सरकारी तंत्र में डर पैदा होगा और उम्मीद है कि लोग अपने कार्यों के लिए ईमानदार तरीके से सेवा देंगे।